बुधवार, 25 अगस्त 2010

फ़न से किस का रिश्ता है





कौन यहाँ अब पूछे फ़न को,आज कहाँ यह दिखता है
नाम बिके हैं महफ़िल-महफ़िल, फ़न  से किस का रिश्ता है

जोंक बनें हैं आज चिकित्सक ,खून सभी का चूसे हैं
उनके दवाखानों में भी नित, मौत का तांडव होता है

खेल, खिलाड़ी, अभिनेता को, लोग बिठाते सर-माथे
वीर जवानों की कुर्बानी, मोल बहुत ही सस्ता है

चावल, गेहूँ, सब्जी, दालें, गायब हो गए थाली से
दाम गिरे मोबाइल, सिम के,पेट क्या इनसे भरता है

शांति, सुरक्षा, खुशहाली का राज तो अब इक सपना है
पाप पले अब थानों में आतंक पुलिस का रहता है


(चित्र गूगल सर्च से साभार )

मंगलवार, 3 अगस्त 2010

मुहब्बतें हैं कहाँ, अब तो वासनाएं हैं



घुटन है, पीर है, कुंठा है, यातनाएं हैं
मुहब्बतें हैं कहाँ, अब तो वासनाएं हैं

जमाना जब भी कोई धुन बजाने लगता है
थिरकने लगतीं उसी ताल पर फिजाएं हैं

नजर लगाने की खातिर हैं नेकियाँ आईं
उतारने को नजर आ गईं बलाएं हैं

पराग बाँट रही हैं, परोपकारी हैं
कली कली के दिलों में बसी वफाएं हैं

जमीन अब भी है प्यासी किसी हिरन की तरह
फलक पे झूम रहीं सांवली घटाएं हैं

उड़न खटोले की मानिंद उड़ रहे बादल
बरस भी जाएं हर इक लब पे यह दुआएं हैं

मचल मचल के चले जब कभी यहाँ पुरवा
गुमान होता है जैसे तेरी सदाएं हैं

ये बिजलियों की चमक के भी क्या नजारे हैं
पहन के हार चली जैसे दस दिशाएं हैं

पड़े जो बूँद तो सोंधी महक धरा से उठे
हसीन रुत की निराली यही अदाएं हैं

(चित्र गूगल सर्च से साभार )