रिश्तों के बीच हो जाती हैं जब छुटपुट झड़पें अनजाने ही बन जाते हैं कुछ शब्द किरकिरे नुकीले बाण जो चल जाते हैं अपनों पर और फिर जीवन पर्यंत चुभते रहते हैं।
कुछ शब्द
चुभते रहते हैं।
शब्द रच देते हैं एक अभेद चक्रव्यूह जिसमें फँसता जाता है जितना भी निकलना चाहता है जो न जीता है न मरता अकेला निहत्था रिश्ता।