कुछ लम्हे दिल के...
एक बार वक़्त से लम्हा गिरा कहीं, वहाँ दास्ताँ मिली लम्हा कहीं नहीं....गुलज़ार
शनिवार, 24 सितंबर 2011
पहचान लेगा कोई जौहरी तुझको भी
अपनी चमक को न तू धुंधली पड़ने दे
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