लगी जब-जब सावन की फुहारों की लड़ियाँ
याद आने लगी हमारे मिलन की वो घड़ियाँ
सोचा नहीं था मिलेंगे हम इक दिन
देखा जब मैंने तुम्हारी आंखों में उस दिन
वो भीगा सा आँचल वो भीगी फिजाएं
वो सड़कों पे ढूंढ़ना दरख्तों के साए
वो चंचल शोख हवाओं का बहना
वो हाथों को पकड़े हुए राहों पे चलना
वो नजदीक आना अपनी ओट में छुपाना
वो दुनिया की नज़रों से मुझको बचाना
याद रहेगा हमेशा वो मिलना हमारा
दुआ है रब से आए ऐसा सावन दोबारा
चित्र गूगल सर्च साभार
दुआ है रब से आए ऐसा सावन दोबारा
चित्र गूगल सर्च साभार
ऐसा सावन दुबारा आये और हर ऐसा सावन हमेशा बचा रहे.
जवाब देंहटाएंbahut hi sunder archna ji bhavo ki itni sunder abhivyakti vo bhi yaado se bhut khub meri badhayi swikaar kare
जवाब देंहटाएंsaadar
praveen pathik
9971969084
sawan ki ghadiya aisee hi hoti hai ...............najuk palo ko bahut hi sundrata se aapane sajaya hai ...........thanks alot
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया भावपूर्ण रचना .
जवाब देंहटाएंaapka blog pahli bar dekha padha aap bahut accha likhti hain...badhai.
जवाब देंहटाएंsawan ka maza to ab aa raha hai aapki es rachna ko padhne ke baad
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण लिखा है ,बधाई.
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना -- स्मृतियो को ताज़ा कर गयी. चित्र भी बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसावन की फुहाड़ का इंतजार सभी को होता है । फिर चाहे मनुष्य हो या पशु । धरती की भी आस रहती है कि सावन आये और उसकी बढ़ती प्यास को बुझाये । सावन के बिना तो मौसम अधूरा है । अच्छा लिखा है आपने धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपकी लेखनी में एक मिठास सी है।
जवाब देंहटाएंऔर हाँ, आपके फोटो का चयन लाजवाब होता है। इन दोनों की जितनी तारीफ की जाए कम है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
आपकी कविताओं में ताज़गी है..रवानी है...कुछ है जो आकर्षित करता है...शुभकामनाएँ..
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