रविवार, 28 नवंबर 2010

ज्ञान के दीप जला कर देखो



कर्म को देव बना कर देखो 
सत्य के मार्ग पे जा कर देखो 

साथ में होंगे करोड़ों इक दिन 
पाँव तो पहले बढ़ा कर देखो 

सारे इंसान हैं इस दुनिया में 
सरहदें अपनी मिटा कर देखो 

क्या है नफरत, ये अदावत क्या है 
प्रेम का राग तो गा कर देखो 

मंजिलें साफ़ नज़र आएंगी 
ज्ञान के दीप जला कर देखो




31 टिप्‍पणियां:

  1. पूरी ग़ज़ल ही उम्दा है किसी एक शेर का चुनाव बेहद मुश्किल
    बहुत ख़ूब!

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  2. बेहद सटीक प्रेरणा देता, स्वच्छ ह्रदय से उपजा संदेश

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  3. सारे इंसान हैं इस दुनिया में
    सरहदें अपनी मिटा कर देखो
    waah

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  4. सारे इंसान हैं इस दुनिया में
    सरहदें अपनी मिटा कर देखो

    सुंदर सन्देश देती रचना ...बहुत खूब
    चलते -चलते पर आपका स्वागत है

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  5. बहुत अच्छी बातें कही आपने

    पढ्ने वालों इसे बस गजल ना समझना
    इसकी बातों को अपना कर तो देखो ..........

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  6. बहुत उम्दा...
    मंजिलें साफ़ नज़र आएंगी
    ज्ञान के दीप जला कर देखो
    ये शेर खास तौर पर अच्छा लगा.

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  7. साथ में होंगे करोड़ों इक दिन
    पाँव तो पहले बढ़ा कर देखो

    वाह बहुत सुन्दर ग़ज़ल है और ये शेर तो लाजवाब है ...

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  8. साथ में होंगे करोड़ों इक दिन
    पाँव तो पहले बढ़ा कर देखो

    बहुत खूब ... सत्य लिखा है .. पहला कदम ही बस मुश्किल होता है ... एक कदम बढ़ा दे कोई तो कई कदम साथ देते हैं ....

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  9. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी इस रचना का लिंक मंगलवार 30 -11-2010
    को दिया गया है .
    कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

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  10. सारे इंसान हैं इस दुनिया में
    सरहदें अपनी मिटा कर देखो
    बहुत सुंदर अर्चना ..... बस यही समझने की दरकार है हमें .....

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  11. अरे वाह अर्चना जी,
    आप तो अच्छी ग़ज़ल कह लेती हैं. हर शेर अच्छा है. बधाई आपको

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  12. सारे इंसान हैं इस दुनिया में
    सरहदें अपनी मिटा कर देखो
    इन पंक्तियों ने बेहद प्रभावित किया .....
    शुभकामनायें |

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  13. इतनी मुश्किल बहर और इतने कामयाब अशआर, आपने स्तब्ध कर दिया. इस बहर में तो अच्छे-अच्छे गच्चा खा जाते हैं. मैं अगर किसी एक शेर को चुनूं तो यह पूरी गजल के साथ नाइंसाफी होगी. आपकी जी तोड़ मेहनत साफ़ नजर आ रही है. आप दूसरों के लिए मिसाल बनती जा रही हैं.

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  14. आपकी गजल अच्छी है. मेहनत भी अच्छी है. अभी काफी पढ़िए, फिर थोड़ा लिखिए. फायदा होगा.

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  15. निसंदेह ।
    यह एक प्रसंशनीय प्रस्तुति है ।
    धन्यवाद ।
    satguru-satykikhoj.blogspot.com

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  16. bahut hi behatreen gazal ....ek ek sher shaandar hai ..

    badhayi sweekar kare.

    -------------------

    मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
    आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
    """" इस कविता का लिंक है ::::
    http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
    विजय

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  17. बहुत बेहतरीन ग़ज़ल| धन्यवाद|

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  18. मंजिलें साफ़ नज़र आएंगी
    ज्ञान के दीप जला कर देखो

    बिल्कुल सही। संदेश देती हुई एक बेहतर रचना

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  19. आदरणीया अर्चना जी
    नमस्कार !
    सादर स्मृति !

    कहां हैं आप ??

    आजकल कहीं भी नज़र नहीं आ रहीं … मेरे यहां भी बहुत समय से आप नहीं आईं , आपके दोनों ब्लॉग्स पर भी पोस्ट लगाए भी इतना समय हो गया …

    आशा है ,ईश्वर-कृपा से सपरिवार स्वस्थ-सकुशल हैं …

    हार्दिक शुभकामनाएं !

    क्या है नफरत, ये अदावत क्या है
    प्रेम का राग तो गा कर देखो


    रचनाएं आपकी हमेशा सुंदर और श्रेष्ठ होती हैं …

    नई रचना का इंतज़ार रहेगा …
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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