दोस्तों,
क्यों न ऐसा कुछ किया जाए
अब, जब नगर, गली, मोहल्ला चाक-चौबंद हो खड़ा है
हर कोई अपने लिए चिंतित पड़ा है
आपदा तो है, फिर भी
सुरक्षित हो लिया है हर वो आदमी
जिसके सिर पर थी छत पक्की घनी
कुछ जो आए थे किसी गाँव से, कस्बे से या किसी सुदूर स्थान से
रहते थे ठेला खड़ा किए हुए
किसी डिवाइडर पर तने खंभे से सटे हुए
ऐसे में उनका रोजगार थम गया है
इसलिए ईंटों वाला उनका चूल्हा भी बिखरा पड़ा है।
तो क्यों न ऐसा कुछ किया जाए
कि बिना गिलास भर उनसे संतरे का रस खरीदे हुए,
कि बिना दोने भर चटपटी चाट खाए हुए,
बिना रिक्शे पर बैठे हुए,
दाम चुकता कर दिया जाए
क्यों न इस बार
एक सौदा ऐसा किया जाए।
(चित्र वाया गूगल, yourquote.in )
(चित्र हइकू - नेह सुनीता)
क्यों न ऐसा कुछ किया जाए
अब, जब नगर, गली, मोहल्ला चाक-चौबंद हो खड़ा है
हर कोई अपने लिए चिंतित पड़ा है
आपदा तो है, फिर भी
सुरक्षित हो लिया है हर वो आदमी
जिसके सिर पर थी छत पक्की घनी
कुछ जो आए थे किसी गाँव से, कस्बे से या किसी सुदूर स्थान से
रहते थे ठेला खड़ा किए हुए
किसी डिवाइडर पर तने खंभे से सटे हुए
ऐसे में उनका रोजगार थम गया है
इसलिए ईंटों वाला उनका चूल्हा भी बिखरा पड़ा है।
तो क्यों न ऐसा कुछ किया जाए
कि बिना गिलास भर उनसे संतरे का रस खरीदे हुए,
कि बिना दोने भर चटपटी चाट खाए हुए,
बिना रिक्शे पर बैठे हुए,
दाम चुकता कर दिया जाए
क्यों न इस बार
एक सौदा ऐसा किया जाए।
(चित्र वाया गूगल, yourquote.in )
(चित्र हइकू - नेह सुनीता)
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 25 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसटीक सुन्दर।
जवाब देंहटाएंसटीक और सामयिक
जवाब देंहटाएं" तो क्यों न ऐसा कुछ किया जाए
जवाब देंहटाएंकि बिना गिलास भर उनसे संतरे का रस खरीदे हुए,
कि बिना दोने भर चटपटी चाट खाए हुए,
बिना रिक्शे पर बैठे हुए,
दाम चुकता कर दिया जाए
क्यों न इस बार
एक सौदा ऐसा किया जाए।"
उत्तम👌
बहुत ही बेहतरीन विचार हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना
तो क्यों न ऐसा कुछ किया जाए
कि बिना गिलास भर उनसे संतरे का रस खरीदे हुए,
कि बिना दोने भर चटपटी चाट खाए हुए,
बिना रिक्शे पर बैठे हुए,
दाम चुकता कर दिया जाए
आभार
बहुत सुंदर सोच ,आज मानवता के लिए बेहद जरुरी ,सादर नमन
जवाब देंहटाएंमानवीय जंगलों के बीच सुंंदर झरना है ये रचना... सुनीता जी
जवाब देंहटाएंबहुत नेक ख़याल है ।
जवाब देंहटाएंऐसे कठिन समय में ऐसी कविताएं मन ढूंढता रहता है । शुक्रिया ।