दूरियाँ बताते
तसल्ली दिलाते
रास्तों में गड़े मिल जाते हैं
अनगिनत मील के पत्थर।
दिशाएँ दिखाते, आस जगाते
रास्ते पर तने मिल जाते हैं
असंख्य बोर्ड।
लेकिन कुछ दूरियाँ
ऐसी होती हैं
जिनके लिए
न कोई मील के पत्थर मिलेंगे
न ही कोई दिशा दिखाने वाले बोर्ड।
उनको स्वयं तय करना पड़ता है
भटकना पड़ता है
खोजना पड़ता है
अपने विवेक, हौसले और विश्वास से।
स्वयं की खोज भी एक ऐसा ही मार्ग है। अच्छी भाव अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "विश्व पर्यावरण दिवस - ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव ।
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