शब्द चुभते हैं
चुभते हैं।
कुछ शब्द
चुभते हैं।
रिश्तों के बीच हो जाती हैं
जब छुटपुट झड़पें
अनजाने ही बन जाते हैं
कुछ शब्द
किरकिरे नुकीले बाण
जो चल जाते हैं
अपनों पर
और फिर
जीवन पर्यंत
चुभते रहते हैं।
कुछ शब्द
चुभते रहते हैं।
शब्द रच देते हैं
एक अभेद चक्रव्यूह
जिसमें फँसता जाता है
जितना भी निकलना चाहता है
जो न जीता है न मरता
अकेला निहत्था
रिश्ता।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 02-06-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2361 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
"जो न जीता है न मरता
जवाब देंहटाएंअकेला निहत्था
रिश्ता"
भावनाशील प्रस्तुति.