रविवार, 30 अगस्त 2009

देखा तेरी आंखों में...


देखा तेरी आँखों में अक्स कुछ अपना सा
गाने लगा मन इक प्यार का नगमा सा

छू गई मेरे दिल का कोई तार कहीं
छाया था पलकों पे इकरार का सपना सा

अनजान थी मैं खुद के हाले दिल से
देखा मैंने उनमें इक हमसफ़र अपना सा

ले गई वो
मुझको चुराकर मुझ ही से
कर गई महफिल में मुझको तनहा सा

उनकी चंचलता ने मदहोश कर दिया
छाने लगा हो जैसे इक प्यार का नशा सा


(चित्र गूगल सर्च से साभार)

शुक्रवार, 21 अगस्त 2009

उम्मीद



शामें ग़म तन्हाई के साज बजते रहे
तेरे दर पर दिल के पैगाम भेजते रहे

घटाओं की बेवफाई का गिला क्या करें
आँखों के समंदर में नमी सहेजते रहे

वो गए ऐसे कि फिर न आए कभी
क़दमों की आहट से मकान गूंजते रहे

अश्कों से बुझी जली बस्ती दिल की
अरमानों की ख़ाक के गुबार लरजते रहे

बन न सका आशियाँ सपनो का
शहर मिटटी के घरौंदों से सजते रहे

ख़त्म होंगे वक़्त कभी खिजाओं के
'उम्मीद' लिए हर ख़ुशी तजते रहे


(चित्र गूगल सर्च से साभार)

बुधवार, 5 अगस्त 2009

इक तारा गर्दिशों में कहीं खो गया



इक तारा गर्दिशों में कहीं खो गया
अपनी ही तन्हाई में तल्लीन सो गया

भटक रहा जुस्तजू की तलाश के लिए
घूम रहा कन्धों पे अपनी ही लाश लिए
इक शायर बदनाम कहीं हो गया

कश्ती क्या डूबती जो चली ही नहीं
रिश्ते क्या टूटते जो बने ही नहीं
अपनी ही कशमकश में ग़मगीन हो गया

इक तारा गर्दिशों में कहीं खो गया
अपनी ही तन्हाई में तल्लीन सो गया



शनिवार, 1 अगस्त 2009

इक रिश्ता आसमानी



चलो इक रिश्ता आसमानी बना लाएँ
जिसकी छाँव में ग़मों को हम भुलाएँ

आगोश में है जिसकी ठंडक चांदनी की
बिखेर रही दोस्ती वही कोमल फिजाएँ

गर्दिश-ए-दौरां से घायल जज्बातों के
ग़मों का इजहार तुझ ही से कर पाएँ

पलकों पे ढलकी अश्कों की बूँदें भी
तेरे दिल की सीपी में मोती बन जाएँ

जन्नत की शबनम बरसती है जहाँ
ऐ दोस्ती तुझे देते हैं फ़रिश्ते भी दुआएँ


(चित्र गूगल सर्च से साभार)