गुरुवार, 14 नवंबर 2019

समय का संताप

समय कहाँ पर आ कर ठहरा है?
अंधेरे का वर्चस्व गहरा है
क्या सरपंच, क्या पंचायत की कहें
पूरा गाँव ही जब अंधा, गूँगा, बहरा है

लगा ज्ञानमंदिर पर अर्थ का पहरा है
फिर भी गुमान है कि भविष्य सुनहरा है
कहते हैं ईश्वर के घर देर है
शायद इसीलिए बस्ती का उजाला कहीं और ठहरा है

सोमवार, 11 नवंबर 2019

ये देसी खिलौने

आज भी मिलते हैं ये झुनझुने और भोंपू
लेकिन आजकल के बच्चे इससे नहीं खेलते
फिर भी क्यों बनते हैं ऐसे खिलौने?
कौन खरीदता होगा इन्हें?
आपका बच्चा इनको लेने की जिद्द तो करता न होगा?
यदि जिद्द करे तो क्या खरीदेंगे आप?
क्या यूँ ही नहीं खरीद लेंगे अपने बच्चे के लिए?
या फिर किसी बच्चे को देने के लिए?