कुछ देखो-सुनो, तो बोलो
कि तुम नहीं हो कोई दीवार
जो जकड़ी होती है
सीमेंट से, बालू से
ताकि ढह ना जाए।
या तुम भी जकड़े हुए हो
ऐसे ही सीमेंट से, बालू से
कि ढह जाओगे
भरभराकर?
तुम बोलो
कि तुम नहीं हो कोई दीवार
जिनमें पड़े होते हैं
लोहे के सरिये
ताकि ढह ना जाए।
या तुम्हारे अंदर भी पड़े हैं
लोहे के सरियों का जाल
कि ढह जाओगे
भरभराकर?
तुम बोलो
कि तुम नहीं हो कोई दीवार
जो चुनी होती हैं सख्त ईंटों से
ताकि ढह ना जाए।
या तुम भी चुने गए हो
सख्त ईंटों से
कि ढह जाओगे
भरभराकर?
हाँ, यह सच है कि
तुम भी जकड़े हुए हो
लेकिन
माँस से चर्म से
तुम्हारे अंदर भी है जाल
लेकिन
खून से भरी नसों का
तुम्हारे अंदर भी चुने हुए हैं
लेकिन
मस्तिष्क, हृदय, यकृत, गुर्दे
जैसे तमाम अंग
और
इन सबसे मिलता है तुम्हारे अंदर कुछ अलग
यानी
तुम्हारे जीवित होने का प्रमाण।
कहो, क्या तुम हो कोई दीवार?
जो ढह जाओगे भरभराकर?
कि तुम नहीं हो कोई दीवार
जो जकड़ी होती है
सीमेंट से, बालू से
ताकि ढह ना जाए।
या तुम भी जकड़े हुए हो
ऐसे ही सीमेंट से, बालू से
कि ढह जाओगे
भरभराकर?
तुम बोलो
कि तुम नहीं हो कोई दीवार
जिनमें पड़े होते हैं
लोहे के सरिये
ताकि ढह ना जाए।
या तुम्हारे अंदर भी पड़े हैं
लोहे के सरियों का जाल
कि ढह जाओगे
भरभराकर?
तुम बोलो
कि तुम नहीं हो कोई दीवार
जो चुनी होती हैं सख्त ईंटों से
ताकि ढह ना जाए।
या तुम भी चुने गए हो
सख्त ईंटों से
कि ढह जाओगे
भरभराकर?
हाँ, यह सच है कि
तुम भी जकड़े हुए हो
लेकिन
माँस से चर्म से
तुम्हारे अंदर भी है जाल
लेकिन
खून से भरी नसों का
तुम्हारे अंदर भी चुने हुए हैं
लेकिन
मस्तिष्क, हृदय, यकृत, गुर्दे
जैसे तमाम अंग
और
इन सबसे मिलता है तुम्हारे अंदर कुछ अलग
यानी
तुम्हारे जीवित होने का प्रमाण।
कहो, क्या तुम हो कोई दीवार?
जो ढह जाओगे भरभराकर?
जय मां हाटेशवरी...
जवाब देंहटाएंअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 11/12/2018
को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंआवश्यक सूचना :
जवाब देंहटाएंअक्षय गौरव त्रैमासिक ई-पत्रिका के प्रथम आगामी अंक ( जनवरी-मार्च 2019 ) हेतु हम सभी रचनाकारों से हिंदी साहित्य की सभी विधाओं में रचनाएँ आमंत्रित करते हैं। 15 फरवरी 2019 तक रचनाएँ हमें प्रेषित की जा सकती हैं। रचनाएँ नीचे दिए गये ई-मेल पर प्रेषित करें- editor.akshayagaurav@gmail.com
अधिक जानकारी हेतु नीचे दिए गए लिंक पर जाएं !
https://www.akshayagaurav.com/p/e-patrika-january-march-2019.html
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २८ जनवरी २०१९ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'
आवश्यक सूचना :
जवाब देंहटाएंसभी गणमान्य पाठकों एवं रचनाकारों को सूचित करते हुए हमें अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि अक्षय गौरव ई -पत्रिका जनवरी -मार्च अंक का प्रकाशन हो चुका है। कृपया पत्रिका को डाउनलोड करने हेतु नीचे दिए गए लिंक पर जायें और अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँचाने हेतु लिंक शेयर करें ! सादर https://www.akshayagaurav.in/2019/05/january-march-2019.html