आज भी मिलते हैं ये झुनझुने और भोंपू
लेकिन आजकल के बच्चे इससे नहीं खेलते
फिर भी क्यों बनते हैं ऐसे खिलौने?
कौन खरीदता होगा इन्हें?
आपका बच्चा इनको लेने की जिद्द तो करता न होगा?
यदि जिद्द करे तो क्या खरीदेंगे आप?
क्या यूँ ही नहीं खरीद लेंगे अपने बच्चे के लिए?
या फिर किसी बच्चे को देने के लिए?
बनते रहने चाहिए खरीदार मिल ही जाते हैं कहीं न कहीं से
जवाब देंहटाएंहम भी खरीदते हैं मेलों से ऐसी चीजे, एक लगाव रहता है। आकर्षक होते हैं बच्चे खरीद लेते हैं
शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने।
जवाब देंहटाएंव्वाहहहह..
जवाब देंहटाएंबचपन याद आ गया..
आभार..
सादर..
शुक्रिया।
हटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंजी बच्चे तो बच्चे होते हैं मचलते हैं लेने को तो बहुत बार खरीद लेते हैं ,वैसे हर नुक्कड़ पर बिक रहे होते हैं तो जरूर बिकते होंगें।
देखा है कई बार उनके सामने अभिभावकों को बच्चों की अंगुली पकड़े।