लगी जब-जब सावन की फुहारों की लड़ियाँ
याद आने लगी हमारे मिलन की वो घड़ियाँ
सोचा नहीं था मिलेंगे हम इक दिन
देखा जब मैंने तुम्हारी आंखों में उस दिन
वो भीगा सा आँचल वो भीगी फिजाएं
वो सड़कों पे ढूंढ़ना दरख्तों के साए
वो चंचल शोख हवाओं का बहना
वो हाथों को पकड़े हुए राहों पे चलना
वो नजदीक आना अपनी ओट में छुपाना
वो दुनिया की नज़रों से मुझको बचाना
याद रहेगा हमेशा वो मिलना हमारा
दुआ है रब से आए ऐसा सावन दोबारा
चित्र गूगल सर्च साभार
दुआ है रब से आए ऐसा सावन दोबारा
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