बुधवार, 25 अगस्त 2010
फ़न से किस का रिश्ता है
कौन यहाँ अब पूछे फ़न को,आज कहाँ यह दिखता है
नाम बिके हैं महफ़िल-महफ़िल, फ़न से किस का रिश्ता है
जोंक बनें हैं आज चिकित्सक ,खून सभी का चूसे हैं
उनके दवाखानों में भी नित, मौत का तांडव होता है
खेल, खिलाड़ी, अभिनेता को, लोग बिठाते सर-माथे
वीर जवानों की कुर्बानी, मोल बहुत ही सस्ता है
चावल, गेहूँ, सब्जी, दालें, गायब हो गए थाली से
दाम गिरे मोबाइल, सिम के,पेट क्या इनसे भरता है
शांति, सुरक्षा, खुशहाली का राज तो अब इक सपना है
पाप पले अब थानों में आतंक पुलिस का रहता है
(चित्र गूगल सर्च से साभार )
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अर्चना जी,बहुत बढ़िया सामयिक गजल लिखी है..हर शेर आज के हालात बयां कर रहा है...
जवाब देंहटाएंखेल, खिलाड़ी, अभिनेता को, लोग बिठाते सर-माथे
वीर जवानों की कुर्बानी, मोल बहुत ही सस्ता है
आज के हालातों पर सटीक गज़ल ..बहुत अच्छे लगी ...
जवाब देंहटाएंBahut sahee rachna samayik aur sateek.
जवाब देंहटाएंPar itan nirash nahee hote. kuch achche log bhee to hain jo apna kam karate rehate hain.
चावल, गेहूँ, सब्जी, दालें, गायब हो गए थाली से
जवाब देंहटाएंदाम गिरे मोबाइल, सिम के,पेट क्या इनसे भरता है .nice
कौन यहाँ अब पूछे फ़न को,आज कहाँ यह दिखता है
जवाब देंहटाएंनाम बिके हैं महफ़िल-महफ़िल, फ़न से किस का रिश्ता है
बहुत ख़ूब!
बिल्कुल सही फ़रमाया आप ने
बहुत सही कहा अपने.... एक सटीक ग़ज़ल के माध्यम से.
जवाब देंहटाएंसच को दर्शाति बढ़िया पेशकस ।
जवाब देंहटाएंकौन यहाँ अब पूछे फ़न को,आज कहाँ यह दिखता है
जवाब देंहटाएंनाम बिके हैं महफ़िल-महफ़िल, फ़न से किस का रिश्ता है
यथार्थ बयान करती ग़ज़ल...
खेल, खिलाड़ी, अभिनेता को, लोग बिठाते सर-माथे
वीर जवानों की कुर्बानी, मोल बहुत ही सस्ता है
हासिले-ग़ज़ल शेर...
बहुत बहुत मुबारकबाद.
कमाल की रचना पेश की है. सच, कड़वा-तीखा सच, यही तो ज़िम्मेदारी है रचनाकार की. तस्वीर कितनी ही बदसूरत क्यों न हो, उसे समाज और सल्तनत के सामने जरूर रखे.
जवाब देंहटाएंनई जमीन खोजें आप भी,तोडें नए सितारे कुछ
जवाब देंहटाएंवरना आज हर कवि, लेखक यही सब तो लिखता है
सटीक गज़ल ..........
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब!
archanaa....gazal ko to acchha nahin kah saktaa magar....iske bhaav bahut-bahut-bahut acchhe hain sach....!!!
जवाब देंहटाएंचावल, गेहूँ, सब्जी, दालें, गायब हो गए थाली से
जवाब देंहटाएंदाम गिरे मोबाइल, सिम के,पेट क्या इनसे भरता है
....यह तो सोचने वाली बात हो गई...सुन्दर कविता..बधाई.
____________________
'पाखी की दुनिया' में अब सी-प्लेन में घूमने की तैयारी...
चावल, गेहूँ, सब्जी, दालें, गायब हो गए थाली से
जवाब देंहटाएंदाम गिरे मोबाइल, सिम के,पेट क्या इनसे भरता है
bahut sach
खेल, खिलाड़ी, अभिनेता को, लोग बिठाते सर-माथे
जवाब देंहटाएंवीर जवानों की कुर्बानी, मोल बहुत ही सस्ता है
..एक सैनिक के लिए आप जैसे संवेदनशील लोगों का लगाव ज्यादा मायने रखता है.. बहुत खूब...
Archana ji,
जवाब देंहटाएंSaamyik stithiyon par achchhi ghazal kahi hai badhai. Main bhi aaj apke blog par pahali baar aya hoon apki ghazalen bahut achhi lagin.
Shubh kamanaayon sahit,
Chandrabhan Bhardwaj
आपको एवं आपके परिवार को दुखद और जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ! उम्दा प्रस्तुती!
well written !!
जवाब देंहटाएंbahut khoob....
जवाब देंहटाएंA Silent Silence : Mout humse maang rahi zindgi..(मौत हमसे मांग रही जिंदगी..)
Banned Area News : Konkona Sen Sharma And Ranvir Shorey To Wed Today
जोंक बनें हैं आज चिकित्सक ,खून सभी का चूसे हैं
जवाब देंहटाएंउनके दवाखानों में भी नित, मौत का तांडव होता है ..
आज के कड़ुवे सच को हूबहू उतार दिया है शेरों में .... बहुत लाजवाब ....
शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंव्यवस्था की जर्जरता और नैतिकता के पतन की ओर अच्छा संकेत।
जवाब देंहटाएंव्यथित मन की कातर कविता.
जवाब देंहटाएंग़ज़ल का अंदाज अच्छा है. पसंद आया.
जवाब देंहटाएं- विजय तिवारी " किसलय "
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना है ......आज के हिंदुस्तान के हालत पर तीखा व्यंग्य करती हुई कविता है .....आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ .........एक बात और आप जो तस्वीर पोस्ट के साथ लगाती हैं ....वह पोस्ट के भावों को काफी हद तक व्यक्त कटी है ..........उम्मीद है आगे भी ऐसे हो पोस्ट पढने को मिलेंगी इस उम्मीद में आपको फॉलो कर रहा हूँ.......
जवाब देंहटाएंकभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए-
http://jazbaattheemotions.blogspot.com/
http://mirzagalibatribute.blogspot.com/
http://khaleelzibran.blogspot.com/
http://qalamkasipahi.blogspot.com/
एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|
Archana jee mere blog par padharne ke liye dhanyavad.Aapki ghazalon ka janvadi tevar mujhe Dushyant kumar ki yaad dilata hai.Likhate rahiye.Shubhkamanayen.
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें ! भगवान श्री गणेश आपको एवं आपके परिवार को सुख-स्मृद्धि प्रदान करें !
जवाब देंहटाएंचावल, गेहूँ, सब्जी, दालें, गायब हो गए थाली से
जवाब देंहटाएंदाम गिरे मोबाइल, सिम के,पेट क्या इनसे भरता है
..कटु सत्य।
bahut sundar rachna
जवाब देंहटाएंbahdhai
एक सटीक, बढ़िया, सामयिक ग़ज़ल.
जवाब देंहटाएंसही सटीक गज़ल के लिए बधाई ........
जवाब देंहटाएंअर्चना जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल......
हरेक शेर लाजवाब
ज़िन्दगी की साक्ची क्या ख्गूब बयां की है आपने.......
चावल, गेहूँ, सब्जी, दालें, गायब हो गए थाली से
दाम गिरे मोबाइल, सिम के,पेट क्या इनसे भरता है
वाह वाह.
अर्चना जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल......
हरेक शेर लाजवाब
ज़िन्दगी की सच्चाई क्या खूब बयां की है आपने.......
चावल, गेहूँ, सब्जी, दालें, गायब हो गए थाली से
दाम गिरे मोबाइल, सिम के,पेट क्या इनसे भरता है
वाह वाह.
चावल, गेहूँ, सब्जी, दालें, गायब हो गए थाली से
जवाब देंहटाएंदाम गिरे मोबाइल, सिम के,पेट क्या इनसे भरता है
बहुत सुन्दर ... सामयिक रचना
हालात तो यही हैं
bahut bhavpurn abhivyakti...
जवाब देंहटाएंकौन यहाँ अब पूछे फ़न को,आज कहाँ यह दिखता है
जवाब देंहटाएंनाम बिके हैं महफ़िल-महफ़िल, फ़न से किस का रिश्ता है
vartamaan visangatiyon ki jivant abhivyakti ..Archna abhinandan...bahut hi sunder rachna k liye.... amarjeet mishra