एक बार वक़्त से लम्हा गिरा कहीं, वहाँ दास्ताँ मिली लम्हा कहीं नहीं....गुलज़ार
बहुत खूब ..
बरबस ही एक शेर याद आ गया...अपनी कीमत सुनकर क्यूँ हो उदासक्या इस शहर में एक ही बाज़ार है.
बेहतरीन!
संगीता जी, सुलभ जी , मनोज जी आप सभी का यहाँ आने का बहुत बहुत शुक्रिया...
बहुत सुन्दर !!!
wah kya khoob...
बहुत खूब ..
जवाब देंहटाएंबरबस ही एक शेर याद आ गया...
जवाब देंहटाएंअपनी कीमत सुनकर क्यूँ हो उदास
क्या इस शहर में एक ही बाज़ार है.
बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंसंगीता जी, सुलभ जी , मनोज जी आप सभी का यहाँ आने का बहुत बहुत शुक्रिया...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !!!
जवाब देंहटाएंwah kya khoob...
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