कुछ लम्हे दिल के...
एक बार वक़्त से लम्हा गिरा कहीं, वहाँ दास्ताँ मिली लम्हा कहीं नहीं....गुलज़ार
गुरुवार, 26 मई 2016
पानी मर गया....
पथराई आस
पथराई आँख
शायद पानी मर गया.....
(माइक्रो सॉफ्ट पेण्ट पर बना स्व-रचना चित्र)
1 टिप्पणी:
कविता रावत
27 मई 2016 को 1:34 pm बजे
बहुत सही
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
टिप्पणी जोड़ें
ज़्यादा लोड करें...
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
बहुत सही
जवाब देंहटाएं