मधुमास यानी प्रेम का मास...
प्रेम शब्दों में सिमटी कोई कविता नहीं है
जिसे प्रकट करने के लिए कहा जाय
प्रेम प्रकट किये जाने का मोहताज भी नहीं है
क्योंकि यह अप्रकट होकर भी संचारित हो जाता...
जिसे प्रकट करने के लिए कहा जाय
प्रेम प्रकट किये जाने का मोहताज भी नहीं है
क्योंकि यह अप्रकट होकर भी संचारित हो जाता...
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