मंगलवार, 19 जून 2018

भीड़

भीड़
भीड़ की न कोई चेतना होती है
न ही कोई विचार
भीड़ बस भीड़ होती है
भीड़ एक ही समय में दो जगह होती है
भीड़ पक्ष में होती है
भीड़ विपक्ष में होती है
भीड़ किसी की नहीं होती
भीड़ बस भीड़ होती है
भीड़ एक पल में प्रतिष्ठित करती है
भीड़ एक पल में धूल-धूसरित करती है
भीड़ बस भीड़ होती है
भीड़ सुनती नहीं
भीड़ देखती नहीं
भीड़ कुछ कहती नहीं
भीड़ चाटुकार है
भीड़ अहंकार है
भीड़ दबाव है
भीड़ फरमान है
भीड़ सम्मान नहीं
भीड़ स्वाभिमान नहीं
भीड़ दोस्त नहीं
भीड़ जिंदा इंसान नहीं
भीड़ कोई पुरस्कार नहीं
भीड़ का कोई सरोकार नहीं
भीड़ बस भीड़ होती है

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व शरणार्थी दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  2. सच कहा आपने ....भीड़ बस भीड़ होती है

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  3. निमंत्रण विशेष : हम चाहते हैं आदरणीय रोली अभिलाषा जी को उनके प्रथम पुस्तक ''बदलते रिश्तों का समीकरण'' के प्रकाशन हेतु आपसभी लोकतंत्र संवाद मंच पर 'सोमवार' ०९ जुलाई २०१८ को अपने आगमन के साथ उन्हें प्रोत्साहन व स्नेह प्रदान करें। सादर 'एकलव्य' https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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  4. निमंत्रण विशेष :

    हमारे कल के ( साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक 'सोमवार' १० सितंबर २०१८ ) अतिथि रचनाकारआदरणीय "विश्वमोहन'' जी जिनकी इस विशेष रचना 'साहित्यिक-डाकजनी' के आह्वाहन पर इस वैचारिक मंथन भरे अंक का सृजन संभव हो सका।

    यह वैचारिक मंथन हम सभी ब्लॉगजगत के रचनाकारों हेतु अतिआवश्यक है। मेरा आपसब से आग्रह है कि उक्त तिथि पर मंच पर आएं और अपने अनमोल विचार हिंदी साहित्य जगत के उत्थान हेतु रखें !

    'लोकतंत्र' संवाद मंच साहित्य जगत के ऐसे तमाम सजग व्यक्तित्व को कोटि-कोटि नमन करता है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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