सूखे खेत, सरोवर,झरने,बस आँखों में दिखता पानी
हाहाकार मचा है जग में,छाए मेघ न बरसा पानी।
भ्रष्टाचार के दलदल में अब,अपना देश धंसा है पूरा
कौन उबारे, सबके तन में ठंडा खून रगों का पानी।
अब रक्षक को भक्षक कहिए,कलियां रौंद रहे है माली
लोग तमाशा देख रहे हैं,किसकी आंख से छलका पानी।
खेती किस किस से जूझेगी,किसका किसका हल ढूंढेगी
एक साथ इतने संकट हैं,आंधी,बिजली,सूखा,पानी।
प्रेम वचन शीतल वानी है जिससे पीर मिटे सब मन की
सूखे, झुलसे तरू के तन की जैसे प्यास बुझाता पानी।
(चित्र गूगल सर्च सर साभार )
(चित्र गूगल सर्च सर साभार )
bahut ache ma'm.
जवाब देंहटाएंab to hamre gaon walo ke aankho ka paani bhi sukh gaya paani ke injaar me.
सच कहा है ...
जवाब देंहटाएंशब्द शब्द सच्ची रचना है आपकी और द्वारा उठाये गए सवालों का जवाब भी मांगती है...बहुत बहुत बधाई इस शशक्त रचना के लिए...
जवाब देंहटाएंनीरज
निहायत खूबसूरत और सशक्त रचना है ... आपकी लयबद्धता और छंदमय रचना प्रभावित करती है ... बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा कविता !
जवाब देंहटाएंअर्चना जी आप की ये पूरी कविता लय में और वज़्न में है ,बहुत सटीक शब्दों का चयन किया है आपने ,
पढ़ कर साहित्य पढ़ने की संतुष्टि प्राप्त होती है
बधाई हो !!
सब से बढ़कर जिस समस्या पर ये कविता है हमें उस संबंध में अब जाग जाना चाहिए .
अब रक्षक को भक्षक कहिए,
जवाब देंहटाएंकलियां रौंद रहे है माली
लोग तमाशा देख रहे हैं,
किसकी आंख से छलका पानी।
सटीक रचना ... आज के हालात का सही चित्रण ... हर छन्द कुछ कहता हुवा है ...
बहुत उम्दा!सही चित्रण
जवाब देंहटाएंभ्रष्टाचार के दलदल में अब,
अपना देश धंसा है पूरा
कौन उबारे, सबके तन में
ठंडा खून रगों का पानी।
जी यह तेवर कायम रहे...!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सशक्त रचना!!
अति सुन्दर...
जवाब देंहटाएं'वानी' को बानी या वाणी कर सकती हैं.
जवाब देंहटाएंप्रेम वचन शीतल वानी है जिससे पीर मिटे सब मन की
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बात, बहुत सुन्दर रचना
वाह
सामयिक रचना. मौसम हो, समाज या राजनैतिक परिवेश, सभी विषयों पर आपने खूब गहन अध्ययन के पश्चात लेखनी चलाई है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की इतनी खुश्क सी गजल में आपने कहीं सभी लयात्मकता में कमी नहीं आने दी, यही आपके सिद्धहस्त होने का सबूत है.
जवाब देंहटाएंजो धारा आपने चुनी है, उससे विमुख मत होइएगा, निकट भविष्य में लोग आपको आपकी लेखनी के ही माध्यम से पहचानेंगे.
....बेहतरीन गजल !!
जवाब देंहटाएंaam aadmi ke charo or ki prithiton ko baha kar le aaya hai aap ka ye paani ...
जवाब देंहटाएंखेती किस किस से जूझेगी,किसका किसका हल ढूंढेगी
एक साथ इतने संकट हैं,आंधी,बिजली,सूखा,पानी।
kisaanon ko samarpit yah sher sabse jyada pasand aayaa..
सूखे खेत, सरोवर,झरने,बस आँखों में दिखता पानी
जवाब देंहटाएंहाहाकार मचा है जग में,छाए मेघ न बरसा पानी।
-बहुत बढ़िया-सटीक!!
अब रक्षक को भक्षक कहिए,कलियां रौंद रहे है माली
जवाब देंहटाएंलोग तमाशा देख रहे हैं,किसकी आंख से छलका पानी।
एक एक पंक्ति में खूबसूरती से लिखे एहसास....सटीक
jabardast....
जवाब देंहटाएंkunwar ji,
pani ke jariye sabko pani-pani kr dia....
जवाब देंहटाएंbahut acchha likhti hain aap. bahut sarthak kavita likhi aapne. badhayi.
जवाब देंहटाएंAji maine kaha, Bahut badhiya.....
जवाब देंहटाएंSadharan bhasha mein Aam logon ki baat!
Sadhuwaad!
jam kar barish ho jaye to dil ko chen mil jaye
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना....
जवाब देंहटाएंज़बर्दस्त रचना। समसामयिक, सटीक, संदेश देती।
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही..
जवाब देंहटाएंजन-जन के दर्द को अभिव्यक्त करती इस जनवादी रचना के लिए बधाई स्वीकार करें.
जवाब देंहटाएं..शिक्षा पर सभी का अधिकार है इसलिए मैं उन बच्चों को पढ़ाती हूँ जो निर्धन हैं शुल्क नहीं दे सकते...
...इश्वर आपको शक्ति दे कि आप औरों के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत बन सकें.
अर्चना जी, शानदार कविता रची है आपने। सुकून की बात है कि आँखों में ही सही, कहीं तो बचा है पानी।
जवाब देंहटाएं--------
करे कोई, भरे कोई?
हाजिर है एकदम हलवा पहेली।
अच्छा कहा
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली रचना।
जवाब देंहटाएंbahut badhiya likha hai ji!
जवाब देंहटाएंHello,
जवाब देंहटाएंThis composition of yours is one of your best ones so far!
Keep writing!
Cheers!
वाह ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंवाह, भइ, वाह!
जवाब देंहटाएंयहाँ तो प्रेम की बरसात हो रही है!
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यह रचना अच्छी लगी!
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आपसे मिलवाने के लिए संगीता स्वरूप जी को धन्यवाद!
हम भी उड़ते
हँसी का टुकड़ा पाने को!
..बहुत अच्छी रचना.... मुझे आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा..आपसे परिचय करवाने के लिए 'चर्चा मंच' और श्रीमती संगीता स्वरुप जी के प्रति आभार.
जवाब देंहटाएंसादर
पवन धीमान
0050938050683
एकदम सच कहा...बहुत उम्दा..
जवाब देंहटाएंखेती किस किस से जूझेगी,किसका किसका हल ढूंढेगी
जवाब देंहटाएंएक साथ इतने संकट हैं,आंधी,बिजली,सूखा,पानी।
--- रवानी देख रहा हूँ , मुग्ध हूँ भाषिक और अर्थ सौन्दर्य पर !
एक बड़ी बात बोल डालने का मन है , बोल ही दूँ --- मैं आपके सतत
सुधार से आशावादी होता जा रहा हूँ और उस दिन को अगोर
रहा हूँ जब आपकी लेखनी से 'क्लासिक' जैसा कुछ फूटेगा !
पर साधना में धैर्य और नीरक्षीर विवेक की कठिन चुनौतियाँ है !
माँ शारदे आपको इसकी शक्ति दें !
एक निवेदन --- आँखों से कमजोर हूँ , कम उम्र में ही चस्मा
जवाब देंहटाएंलगवा बैठा हूँ , चटख टेम्पलेट और सफ़ेद रंग की लिखाई
परेशान कर डालती है , काली लिखाई ज्यादा सुविधाजनक
रहती है !
संभव हो तो परिवर्तन करें , सुभीते के लिए ! आभार !
एक बहुत अच्छी रचना पढ़कर मन प्रसन्न हो गया
जवाब देंहटाएंअर्चना जी आपकी रचना पढ़कर आपकी अर्चना करने का मन हो आया। बधाई। शब्द चयन,संयोजन और प्रस्तुतिकरण सब कुछ बहुत अच्छा है।
जवाब देंहटाएंअब रक्षक को भक्षक कहिए,कलियां रौंद रहे है माली
जवाब देंहटाएंलोग तमाशा देख रहे हैं,किसकी आंख से छलका पानी।
waah bahut bahut khoobsurat sher kaha hai
प्रशंसनीय ।
जवाब देंहटाएंacchi rachna...
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा..
जवाब देंहटाएंhttp://shayaridays.blogspot.com
आज पहलीबार आप के ब्लॉग पर आया, बहुत ही अच्छा लगा. कई रचनाये एक साथ ही पढ़ गया ..मन फिर भी नहीं भरा.. अत्यन्र मार्मिक और संवेदनशील अनुभूति है आपकी और लेखनी ने उन्हें अद्भुत स्वर और शब्दों से बाँध दिया है..सार्थक और प्रेरक होने के साथ विचारणीय भी. बढ़ियाँ स्वीकार करें हमारी....
जवाब देंहटाएंआज पहलीबार आप के ब्लॉग पर आया, बहुत ही अच्छा लगा. कई रचनाये संवेदनशीलहै
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