नकली बाम / ऊँचे दाम
त्रस्त अवाम / मूक निजाम
भ्रष्टाचार / होता आम
शहरी रोड / ट्रेफिक जाम
कुर्सी आज/ चारों धाम
ख़ूनी हाँथ / मुख में राम
उजड़े खेत/ हल नीलाम
कन्या दान/ मुश्किल काम
राहत कोष/ माघी घाम
बनते माल/ मिटते ग्राम
अफ़सर राज/ फ़ाइल झाम
आँगन धूप/ ढलती शाम
झूठी शान / नकली नाम
अब श्रमदान/ पैसा थाम
रावण राज /कब आराम
अपना देश / फिर से गुलाम ?
(चित्र गूगल सर्च से साभार )
विसंगतियों का अच्छा संयोग किया है।
जवाब देंहटाएंवाह! वर्तमान परिवेश की विडंबनाओं को सार्थक शब्दों में बाँध लिया आपने...
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना... सादर बधाई...
अपना देश / फिर से गुलाम
जवाब देंहटाएंया फिर उसी ओर अग्रसर है ..
सुन्दर अभिव्यक्ति
कम शब्दों में अधिक बात कहने की कला आपसे सीखने लायक है। बहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंगागर में सागर. सच्चाई के जल से भरा हुआ. किसी को कड़वा लगता हो तो लगे. परवाह नहीं. बधाई इस रचना हेतु.
जवाब देंहटाएंराम राम..राम राम।
जवाब देंहटाएंsubah ko raam / shaam ko jaam
जवाब देंहटाएंvery nice...
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति .....सटीक चित्रण .....छोटी बहर में इससे ज्यादा खूबसूरत अभिव्यक्ति देना संभव नहीं है ....बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंबिल्कुल अलग तरह की सुंदर रचना !!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब,
जवाब देंहटाएंइस सुंदर कविता के लिए आभार।
Achhi kavita jo gagar mein sagar samaye huye hai.
जवाब देंहटाएंदिल को छू गयी ये पोस्ट...
जवाब देंहटाएंमौजूदा व्यवस्थाओं पर प्रहार करती पोस्ट।
जवाब देंहटाएंYE KAVITA GAGAR ME SAGAR BHARNE JAISI HAI..2-2 SHABDO KI LAINE LEKIN SATIK NISHANE PAR...AAJ KA YUG AISI HI KAVITAON KA YUG HAI..KUCHH LAINE JAISE...शहरी रोड / ट्रेफिक जाम
जवाब देंहटाएंकुर्सी आज/ चारों धाम
ख़ूनी हाँथ / मुख में राम
उजड़े खेत/ हल नीलाम
कन्या दान/ मुश्किल काम
राहत कोष/ माघी घाम
बनते माल/ मिटते ग्राम
अफ़सर राज/ फ़ाइल झाम
आँगन धूप/ ढलती शाम
झूठी शान / नकली नाम
अब श्रमदान/ पैसा थाम..BAHUT HI ACHHI LAGI..
वर्तमान परिस्थितियों को बेपर्दा करती रचना ....
जवाब देंहटाएंकडवा सच |
जवाब देंहटाएंरावण राज /कब आराम
अपना देश / फिर से गुलाम ?
आज आपकी कविता में भारत का वर्तमान रूप साफ नज़र आ रहा है...
आदरणीया अर्चना तिवारी जी
बहुत समय से नई रचना नहीं लगाई ब्लॉग पर...
आशा है , सपरिवार स्वस्थ-सानंद हैं ।
❣हार्दिक मंगलकामनाओं सहित...❣
♥ रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं ! ♥
-राजेन्द्र स्वर्णकार
राजेन्द्र स्वर्णकार जी बहुत बहुत धन्यवाद !! आपने मुझे याद किया बड़ी प्रसन्नता हुई ..आपको भी रक्षाबंधन की मंगल कामना...मैंने अपने दूसरे ब्लॉग पर कुछ आलेख और कुछ कविताएँ हाल ही में पोस्ट की हैं..देखियेगा...लिंक भेज रही हूँ...आपने जिस ब्लॉग को देखा वह ब्लॉग ग़ज़लों का है अभी कोई नई गज़ल नहीं हुई ..
हटाएंhttp://archanat18.blogspot.in/
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जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग को ब्लॉग"दीप" में शामिल किया गया है | जरूर पधारें और फॉलो कर उत्साह बढ़ाएँ |
जवाब देंहटाएंब्लॉग"दीप"
भारत को गुलाम बनाने वाले त्थयों को बड़ी सरलता से रख दिया आ[पने//
जवाब देंहटाएंमेरे भी ब्लॉग पर आये