
देखा तेरी आँखों में अक्स कुछ अपना सा
गाने लगा मन इक प्यार का नगमा सा
छू गई मेरे दिल का कोई तार कहीं
छाया था पलकों पे इकरार का सपना सा
अनजान थी मैं खुद के हाले दिल से
देखा मैंने उनमें इक हमसफ़र अपना सा
ले गई वो मुझको चुराकर मुझ ही से
कर गई महफिल में मुझको तनहा सा
उनकी चंचलता ने मदहोश कर दिया
छाने लगा हो जैसे इक प्यार का नशा सा
(चित्र गूगल सर्च से साभार)