रविवार, 30 अगस्त 2009

देखा तेरी आंखों में...


देखा तेरी आँखों में अक्स कुछ अपना सा
गाने लगा मन इक प्यार का नगमा सा

छू गई मेरे दिल का कोई तार कहीं
छाया था पलकों पे इकरार का सपना सा

अनजान थी मैं खुद के हाले दिल से
देखा मैंने उनमें इक हमसफ़र अपना सा

ले गई वो
मुझको चुराकर मुझ ही से
कर गई महफिल में मुझको तनहा सा

उनकी चंचलता ने मदहोश कर दिया
छाने लगा हो जैसे इक प्यार का नशा सा


(चित्र गूगल सर्च से साभार)

41 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर रचना के लिये आप का धन्यवाद

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  2. बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है! बहुत बढ़िया लगा !इस बेहतरीन रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ!

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  3. खूबसूरत रचना.. हैपी ब्लॉगिंग

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  4. अनजान थी मैं खुद से हाले दिल से बेखबर
    पाया मैंने उनमें इक हमसफ़र अपना सा,

    बहुत सुन्दर रचना!!!

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  5. अनजान थी मैं खुद से हाले दिल से बेखबर
    पाया मैंने उनमें इक हमसफ़र अपना सा
    बेहद खूबसूरत जारी रहे...
    मीत

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  6. बहुत भावपूर्ण रचना है काबिले तारीफ है! बहुत बढ़िया

    बेहतरीन रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ!

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  7. छू गई मेरे दिल का कोई तार कहीं
    छाया था पलकों पे इकरार का सपना सा
    बेहतरीन रचना

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  8. "छू गई मेरे दिल का कोई तार कहीं
    छाया था पलकों पे इकरार का सपना सा"

    खूबसूरत पंक्तियाँ । आभार ।

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  9. अनजान थी मैं खुद के हाले दिल से
    देखा मैंने उनमें इक हमसफ़र अपना सा

    khoobsoorat linessssssss.

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  10. देखा तेरी आँखों में अक्स कुछ अपना सा
    गाने लगा मन इक प्यार का नगमा सा..
    क्या खूब लिखा है आपने ... दिल को छू गई...
    यूं ही लिखते रहिये... अपने हर्फ़ की खुशबु ब्लॉग पर बिखेरते रहिये....
    आमीन.......

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  11. आप के आँखों में पल रहे इन खवाबों को सलाम... क्योंकि ... सब से खतरनाक होता है हमारे सपनो का मर जाना ...

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  12. अनजान थी मैं खुद के हाले दिल से
    देखा मैंने उनमें इक हमसफ़र अपना सा..bahut khoobsurat....

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  13. सचमुच में बहुत ही प्रभावशाली लेखन है... वाह…!!! वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है। बहुत सुन्दरता पूर्ण ढंग से भावनाओं का सजीव चित्रण...
    आप के द्वारा दी गई प्रतिक्रियाएं मेरा मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन करती हैं। आप मेरे ब्लॉग पर आये और एक उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया दिया…. शुक्रिया.
    आशा है आप इसी तरह सदैव स्नेह बनाएं रखेगें….

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  14. बहुत सुंदर रचना. शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  15. ले गई वो मुझको चुराकर मुझ ही से
    कर गई महफिल में मुझको तनहा सा

    गहरे भाव लिए सुन्दर रचना
    अच्छा लगा पढ़कर

    आभार एवं शुभकामनायें

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  16. बधाई, रचना सुन्दर बन पड़ी है

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  17. "देखा तेरी आँखों में अक्स कुछ अपना सा
    गाने लगा मन इक प्यार का नगमा सा"
    प्रेम भरे भावों की सुन्दर प्रस्तुति...

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  18. उनकी चंचलता ने मदहोश कर दिया
    छाने लगा हो जैसे इक प्यार का नशा सा...

    इस शेअर में "उनकी" जगह यदि "उसकी" कर देते
    तो अपनत्व का अहसास और गहरा और तीक्ष्ण हो जाता.....
    बहुत बढ़िया रचना.....

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  19. अनजान थी मैं खुद के हाले दिल से
    देखा मैंने उनमें इक हमसफ़र अपना सा
    bahut khoob !!
    tasveer bhi bahut khoobsurat lagi..

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  20. बहुत खूब कहा आपने

    bahot khub


    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  21. देखा तेरी आँखों में अक्स कुछ अपना सा
    गाने लगा मन इक प्यार का नगमा सा


    बहुत ही कोमलता से हाले दिल बयाँ कर दिया.........

    अनजान थी मैं खुद के हाले दिल से
    देखा मैंने उनमें इक हमसफ़र अपना सा

    बेहद खुब्सूरत .........


    उनकी चंचलता ने मदहोश कर दिया
    छाने लगा हो जैसे इक प्यार का नशा सा

    प्यार होता है तो ऐसे एहसासो के आसपास होते हो आप......

    बेहतरीन

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  22. बहुत ही सुंदर, भावपूर्ण और प्यारी रचना लिखा है आपने!ahut Barhia...aapka swagat hai...


    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  23. अनजान थी मैं खुद के हाले दिल से
    देखा मैंने उनमें इक हमसफ़र अपना सा

    ले गई वो मुझको चुराकर मुझ ही से
    कर गई महफिल में मुझको तनहा सा
    archnaji
    wah ..anjan thi mein ......kya baat hai pyar ke aagman ka kya khoob chitran kiya hai ...bahut hi badiya ...

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  24. देखा तेरी आँखों में अक्स कुछ अपना सा
    गाने लगा मन इक प्यार का नगमा सा

    मजबूर करती हैं आपकी पंक्तियां कि कुछ कहा जाये
    खुशबू के पास से निकले तो चुप न रहा जाये

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  25. amazing gazal archana ji ;

    anjaan thi main khud ke haale dil .. sabse behatreen sher hai .. waaaaaaaaah

    padhkar ek khushboo si cha gayi ..

    meri badhai sweekar kare .

    regards,

    vijay
    www.poemsofvijay.blogspot.com

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  26. आँखों पर बहुत खूब कहा आपने, साथ में सारगर्भित चित्र भी . अति सुन्दर .

    मुझे याद आ रही है श्री जगदीश कुमार की हाइकु -

    अँधेरा घुप्प
    आँखें ही आँखें
    दहाड्तीं ?

    अर्चना जी बधाई .

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  27. देखा तेरी आँखों में अक्स कुछ अपना सा
    गाने लगा मन इक प्यार का नगमा सा

    आप के और मेरे प्रोफ़ाइल में बहुत समानता है। मुझसे मिलने के लिए धन्यवाद

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