शामें ग़म तन्हाई के साज बजते रहे
तेरे दर पर दिल के पैगाम भेजते रहे
घटाओं की बेवफाई का गिला क्या करें
आँखों के समंदर में नमी सहेजते रहे
वो गए ऐसे कि फिर न आए कभी
क़दमों की आहट से मकान गूंजते रहे
अश्कों से बुझी जली बस्ती दिल की
अरमानों की ख़ाक के गुबार लरजते रहे
बन न सका आशियाँ सपनो का
शहर मिटटी के घरौंदों से सजते रहे
ख़त्म होंगे वक़्त कभी खिजाओं के
'उम्मीद' लिए हर ख़ुशी तजते रहे
(चित्र गूगल सर्च से साभार)
वाह...बेहतरीन भावों से सजी रचना...मुझे पसंद आई
जवाब देंहटाएंअश्कों से बुझी जली बस्ती दिल की
जवाब देंहटाएंअरमानों की ख़ाक से गुबार उठते रहे
Waah !!! bahut bahut bahut hi behtareen....dil ko chhoo gayi bhavuk kar gayi aapki ya sundar rachna..
ख़त्म होंगे वक़्त कभी खिजाओं के
जवाब देंहटाएं'उम्मीद' लिए हम सितम झेलते रहे..umeed ko thame rahe...khoobsurat post...
घटाओं की बेफाई का गिला क्या करें
जवाब देंहटाएंआँखों के समंदर में नमी सहेजते रहे
सुन्दर अभिव्यक्ति।।।।
ख़त्म होंगे वक़्त कभी खिजाओं के
जवाब देंहटाएं'उम्मीद' लिए हम सितम झेलते रहे
'सुन्दर बेहतरीन ,पसंद आई
बेहतरीन लाइनें हैं
जवाब देंहटाएंअश्कों से बुझी जली बस्ती दिल की
जवाब देंहटाएंअरमानों की ख़ाक से गुबार उठते रहे
-बहुत बेहतरीन!! बधाई.
बहुत खूब ---
जवाब देंहटाएंभाव सघन और अभिव्यक्ति प्रबल
बना न सका आशियाँ सपनो का
मिटटी के घरौदों से खेलते रहे
दीदार की चाहत में राह देखते रहे....
जवाब देंहटाएंआप का यह भाव,गहरी अभिव्यक्ति।
घटाओं की बेफाई का गिला क्या करें
जवाब देंहटाएंआँखों के समंदर में नमी सहेजते रहे
उम्मीद काफी खूबसूरत है अर्चना जी।
बना न सका आशियाँ सपनो का
जवाब देंहटाएंमिटटी के घरौदों से खेलते रहे
बेहतरीन अशआर,
बढ़िया गज़ल।
बधाई।
बहुत अच्छा लिखा है अर्चना जी ...
जवाब देंहटाएंख़त्म होंगे वक़्त कभी खिजाओं के
'उम्मीद' लिए हम सितम झेलते रहे ...
क्या बात है ...
बहुत बहुत बधाई ... वैसे आपकी तो हर नज़्म ही लाजवाब होती है ..
बहुत अच्छा लगा पढ़के ...
लिखती रहिये ..
:)
अर्चना जी बहुत पसंद आयी आपकी यह रचना भी
जवाब देंहटाएं---
1. चाँद, बादल और शाम
2. विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
बहुत सुन्दर ग़ज़ल बन पडी है ,
जवाब देंहटाएंघटाओं की बेफाई
शायद आप बेवफाई लिखना चाह रहीं थीं , edit कर लें |
बहुत खूब अर्चना जी एक बेहतरीन रचना मेरी बधाई स्वीकार करे
जवाब देंहटाएंसादर
प्रवीण पथिक
9971969084
खूबसूरत कविता...उम्मीद को बखूबी सराहा आपने..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शारदा जी सुधार कर लिया
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अर्चना जी बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंघटाओं की बेफाई का गिला क्या करें
आँखों के समंदर में नमी सहेजते रहे
kyaa baat kahee vaah
बना न सका आशियाँ सपनो का
जवाब देंहटाएंमिटटी के घरौदों से खेलते रहे
बहुत सुन्दर रचना है बधाईr
sadhaaran se shabdon me khubsurat ahsaas....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर ...लेखनी और शब्दों की सुन्दरता का साथ ..चित्र ने क्या खूब निभाया है ...
जवाब देंहटाएंbahut he achhi rachna hai...
जवाब देंहटाएंkeep writing...
nice
जवाब देंहटाएंloksangharsha
barabanki
बन न सका आशियाँ सपनों का
जवाब देंहटाएंमिट्टी के घरौंदों से खेलते रहे ,
सुन्दर रचना बधाई
अश्कों से बुझी जली बस्ती दिल की
जवाब देंहटाएंअरमानों की ख़ाक से गुबार उठते रहे
sunder abhivyakti hai...
बन न सका आशियाँ सपनो का
जवाब देंहटाएंमिटटी के घरौदों से खेलते रहे
wah! bahut hi behtareen lines.......
Do keep it up.........
A+++++++++
बहुत अच्छे
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया. आप की ताजातरीन गजल पढी. प्रयास सराहनीय है. एक मुफ्त की सलाह देना चाहता हूँ: गजल विधा कुछ ट्रेनिंग - कुछ अध्ययन - कुछ अभ्यास मांगती है. आप अन्यथा न लें, मैं भी कभी - कुछ भी लिखे को गजल मान लेता था, कविता समझ लेता था. आप लखनऊ जैसे शहर में हैं, गजल के एक से एक हस्ताक्षर मौजूद हैं वहां. किसी से थोड़ी कोचिंग / मशविरा लेने से कुछ बिगड़ना नहीं है सुधरने के सिवा. मेरी यह मुफ्त की राय यदि बुरी लगी हो तो इस कमेन्ट को डिलीट कर दीजियेगा. दरअसल तारीफों के लम्बे काफिले में यह अकेली कमेन्ट है जो स्वर से अलग है. मेरा मानना है कि अंतिम सांस तक विद्यार्थी ही रहना है, हो सकता है कुछ लोग गुरु हो गये हों. लेकिन मैं यही समझता हूँ कि विद्या ऐसा अथाह सागर है जिसे खत्म कर पाना असम्भव है. आपका क्या ख्याल है?
जवाब देंहटाएंE sitamgar azmale....aaj tere sitam ki inteha...
जवाब देंहटाएंhum bhi thame baithe hai ummid ka daman....
chahe ye ummid hi karde humen fana....
vakai lajawab....
वो गए ऐसे कि फिर न आए कभी
जवाब देंहटाएंदीदार की चाहत में राह देखते रहे
बहुत खूब .....क्या बात है
आभार
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ख़त्म होंगे वक़्त कभी खिजाओं के
जवाब देंहटाएं'उम्मीद' लिए हम सितम झेलते रहे
Bahut sunder rachna ke liye badhaee. tasweeren bhee bahut sunder.
Zindagi ke rangon se sarabor gazal.
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
अर्चनाजी
जवाब देंहटाएंआपका सौन्दर्य बोध बहुत परिष्कृत है
फ़िलहाल मैंने सौद्र्य्या सज्जा का आनंद लिया
रचनाएँ फुर्सत me पढ़ कर टिप्पणी दूंगा
सृजनशीलता के संसार में साधना के लिए साधुवाद
अर्चना जी,
जवाब देंहटाएंआपके पास सुंदर भाव हैं और आपको उन्हे शब्द देना भी खूब आता है। भाव हों तो व्याकरण सीख लेना कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है। sarwat m जी की सलाह उचित लग रही है। लिख्ते रहिये , आप अच्छा लिखती हैं।
उम्मीद का बने रहना ही जीवन है....
जवाब देंहटाएंआशा अमरधन..
बहुत अच्छी रचना..
Khoobsurat rachna..
जवाब देंहटाएंअर्चना जी आपकी भावपूर्ण रचना पढ़ी...आपमें बहुत अच्छी रचनाकार बनने की अपार संभावनाएं भी दिखाई दीं...अगर बुरा न मानें तो एक बात कहूँ...ग़ज़ल में काफिये के रख रखाव पर बहुत ध्यान दिया जाता है...आपने मतले में (ग़ज़ल के पहले दो मिसरे या पहला शेर) छेड़ते और भेजते काफिये प्रयोग किये हैं जो व्याकरण की दृष्टि से गलत हैं...मूल शब्द छेड़ और भेज है जिसकी तुक नहीं मिलती इसलिए इस ग़ज़ल में दोष आ गया है...इसे ईता दोष कहते हैं...गुरुदेव पंकज जी की कक्षा में इसके बारे में अच्छे से बताया है... आप लिखती रहें बेधड़क क्यूँ की लिखते रहने से ये सब दोष धीरे धीरे समझ भी आयेंगे और दूर भी हो जायेंगे...और हाँ सर्वात जी ने बहुत अच्छी बात कही...सीखना कभी मत छोडें...आशा है मेरी बात को आप अन्यथा नहीं लेंगी...
जवाब देंहटाएंखुश रहें
नीरज
इक शाम तनहा ढलने को है
जवाब देंहटाएंइक सुबह से सूरज मिलने को है
वक्त के पाटे पर तार-तार हुए
इक रूह नए कपड़े सिलने को है
समंदर के तूफानों से गुजर आई
इक कागज़ की कश्ती गलने को है
चिता की लपटों की गरमी पाकर
जज्बातों की बर्फ पिघलने को है
अश्कों की बारिश में भीगकर
दिल का मैल अब धुलने को है
जन्मों के सांचे में ढली मोम से
इक शमा नई शब् में जलने को है
the best one of your blog
congretulations
keep it up
follow guide lines from mr sarwat n neeraj ji
Bahut Barhia... ...isi Tarah Likhte rahiye.
जवाब देंहटाएंhttp://hellomithilaa.blogspot.com
Mithilak Gap Maithili Me
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Manpasand Gaane
http://muskuraahat.blogspot.com
Aapke Bheje Photo
sunder rachna. archna ji mera ye blog bhi dekhen.
जवाब देंहटाएंwww.swapnyogesh.blogspot.com
खिजाओं के वक्त हर हाल में ख़त्म होंगे ,हमारी हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंजो भावुक है उसे जज्ज़बातों को ब्यां करना आ ही जाता है ।
सुंदर भाव अभिव्यक्ति ।
बन न सका आशियाँ सपनो का
जवाब देंहटाएंशहर मिटटी के घरौंदों से सजते रहे
वाह बहुत अच्छा लिखती हैं...
मीत
Bahut hi badeya likha hai apne..
जवाब देंहटाएंवाह .....अर्चना जी गज़ब का लिखतीं हैं आप .......!!
जवाब देंहटाएंummedon par duniya kayam hai...
जवाब देंहटाएंbahut dil ko chu lene wali rachna...