इक तारा गर्दिशों में कहीं खो गया
अपनी ही तन्हाई में तल्लीन सो गया
भटक रहा
जुस्तजू की
तलाश के लिए
घूम रहा कन्धों पे अपनी ही लाश लिए
इक शायर बदनाम कहीं हो गयाकश्ती क्या
डूबती जो चली ही नहीं
रिश्ते क्या टूटते जो बने ही नहीं
अपनी ही कशमकश में ग़मगीन हो गया
इक तारा गर्दिशों में कहीं खो गयाअपनी ही तन्हाई में तल्लीन सो गया
कश्ती क्या डूबती जो चली ही नहीं
जवाब देंहटाएंरिश्ते क्या टूटते जो बने ही नहीं
अपनी ही कशमकश में ग़मगीन हो गया
खुबसुरत भाव ...
अच्छी रचना, नवीन शिल्प!
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन पर शुभकामनाएँ! विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!
Archana Ji, aise khubsoorat aur bhavsparshi kavya lekhan ke liye bahut sari badhayi. blog ki is duniya me aapse mil kar behad khushi huyi. ummeed hai ab mulaakaat hoti rahegi...!
जवाब देंहटाएंaapka bhi MERE AKASH me swagat hai .
Pratima Sinha
bahut hi badhiya dang se aap aapani bhawanao ko shabdo me piroya hai .........in bhawanao ki jo aawaj ban gayi hai ........wah bahut hi sundar hai
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना . रक्षाबंधन पर की हार्दिक शुभकामना
जवाब देंहटाएंकश्ती क्या डूबती जो चली ही नहीं
जवाब देंहटाएंरिश्ते क्या टूटते जो बने ही नहीं
अपनी ही कशमकश में ग़मगीन हो गया
दिल को छूने वाला लिखा है......... लाजवाब
इक तारा गर्दिशों में कहीं खो गया
जवाब देंहटाएंअपनी ही तन्हाई में तल्लीन सो गया
bahut khoobsurat rachana. behatareen
behtareen likha archana ji
जवाब देंहटाएंbahut he uttam rachna archana ji....
जवाब देंहटाएंकश्ती क्या डूबती जो चली ही नहीं
जवाब देंहटाएंरिश्ते क्या टूटते जो बने ही नहीं
अपनी ही कशमकश में ग़मगीन हो गया...bahut achhi
umda rachna............
जवाब देंहटाएंbahut sundar abhivayakti............
जवाब देंहटाएंगहरे भाव वाली अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत अंदाज़ है
जवाब देंहटाएं---
'विज्ञान' पर पढ़िए: शैवाल ही भविष्य का ईंधन है!
bahut behtar rachna!
जवाब देंहटाएंपहली बार आपके ब्लोग पर आया. काफी अच्छा सजाया है आपने. गीत भी सुन्दर है .
जवाब देंहटाएंहरिशंकर राढी
भटक रहा जुस्तजू की तलाश के लिए
जवाब देंहटाएंघूम रहा कन्धों पे अपनी ही लाश लिए
इक शायर बदनाम कहीं हो गया
bahut hi khoobsoorat lines hain..........
bahut hi behtareen rachna........
Regards
इक तारा गर्दिशों में कहीं खो गया
जवाब देंहटाएंअपनी ही तन्हाई में तल्लीन सो गया
...Lajwab prastuti.
Dil ko chhu gaye aapke jazbaat.
जवाब देंहटाएं{ Treasurer-T & S }
achchha likhti hain....
जवाब देंहटाएंbahut badhai..
http://puranidayari.blogspot.com/
Bahut khub..apki lekhni men dam hai.lajwab rachna ke liye badhai.Kabhi Dakiya babu ke yahan bhi tashrif laiye na !!
जवाब देंहटाएंbehtareen andaaz likhne ka jo hume kafi achcha laga aap hamare blogs par aaye achcha laga
जवाब देंहटाएंभटक रहा जुस्तजू की तलाश के लिए
जवाब देंहटाएंघूम रहा कन्धों पे अपनी ही लाश लिए
इक शायर बदनाम कहीं हो गया...
..ye meri,aapki, hamari, sabki,sab lekhakoon ki kahani hai...
aur aap inko shabd dene main kamyaab rahee...
इक तारा गर्दिशों में कहीं खो गया
जवाब देंहटाएंअपनी ही तन्हाई में तल्लीन सो गया...apni tanhayee me kho ke khud apna pata dundte hai...khoobsurat rachna..
अर्चना जी।
जवाब देंहटाएंइस खूबसूरत रचना के लिए,
शुभकामनाएँ।
Bahut sundar rachnaa.
जवाब देंहटाएं{ Treasurer-T & S }
बहुत ही अच्छा लिखा है......बधाई.
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
जवाब देंहटाएं----
INDIAN DEITIES
अर्चना जी तारे गर्दिशों में कभी नहीं खोते ,उनकी चमक से गर्दिशें हवा हो जाती हैं
जवाब देंहटाएंआपसे बात करना चाहती हूँ ,न० देंगी
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंरचना बहुत अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई....
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
Bahut khubsurat abhivyakti.
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें. "शब्द सृजन की ओर" पर इस बार-"समग्र रूप में देखें स्वाधीनता को"
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं. स्वतंत्रता रूपी हमारी क्रान्ति करवटें लेती हुयी लोकचेतना की उत्ताल तरंगों से आप्लावित है।....देखें "शब्द-शिखर" पर !!
जवाब देंहटाएंअर्चना जी,
जवाब देंहटाएंआपको स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनायें।
रचना अच्छी लगी।
आप इतिहास और समाजशास्त्र की विदुषी हैं। आपसे एक निवेदन करना चाहता हूँ। हिन्दी विकिपिडिया पर विभिन्न विषयों एवं टापिक्स पर लेख लिखकर इसे समृद्ध बनाने की महती आवश्यकता है। इससे हिन्दी और हिन्दी-समाज का बहुत हित सधेगा।
आपसे निवेदन है कि हिन्दी विकि (www.hi.wikipedia.org) पर अपने विशेषज्ञता के क्षेत्र में और अपनी रुचि के अनुसार कुछ लेखों का योगदान अवश्य करें।
bahut barhia... isi tarah likhte rahiye
जवाब देंहटाएंhttp://hellomithilaa.blogspot.com
mithilak gap maithili me
http://mastgaane.blogspot.com
manpasand gaane
http://muskuraahat.blogspot.com
Aapke bheje photo
खूबसूरत रचना...वाह.
जवाब देंहटाएंनीरज
अर्चना जी....आपके ब्लॉग पर पहली बार आया.....और एक सांस में सारा होम पेज देख गया.....बड़ा अच्छा लिखती हो आप....न...न...न....चने के झाड़ पर नहीं चढा रहा आपको,सच कह रहा हूँ सच.....!!
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो आपका बहुत बहुत शुक्रिया अदा करना चाहूँगा कि आप मेरे blog पर आये,मुझे पढने के लिए अपना कीमती वक़्त दिया और उसके बाद ज़र्रा-नवाजी करते हुए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की...
जवाब देंहटाएंमैं आज पहली दफा आपके blog पर आया हूँ,
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है आपकी..
बहुत खुबसूरत लिखा है आपने..
बहुत बहुत बधाई ..
ऐसे ही लिखते रहिये और संवारते रहिये blogging की दुनिया को..
:)
Apne sunder likha hai. likhte rahiye
जवाब देंहटाएंकश्ती क्या डूबती जो चली ही नहीं
जवाब देंहटाएंरिश्ते क्या टूटते जो बने ही नहीं
अपनी ही कशमकश में ग़मगीन हो गया
apko pehli baar padha..aur eak hi shabd mila..UMDA!