रविवार, 9 मई 2010

तेरे आंचल में माँ



आप सभी को मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !!

यह ग़ज़ल मैं अपनी माँ के चरणों में समर्पित कर रही हूँ ,

वो अब इस दुनिया में नहीं हैं , फिर भी हमेशा मेरे साथ हैं "माँ"



सारे जहाँ भर का सुकूं मिलता तेरे आंचल में माँ

जब गम सताएं सैकड़ों, लिपटा तेरे आंचल में माँ


दौड़ी मेरी सुन आह माँ घायल हुआ मैं जब कभी

बाहों में तू ने ले लिया, सिमटा तेरे आंचल में माँ


उंगली पकड़ तेरी चला, बचपन हुआ मेरा जवां

लेकिन अभी तक ढूंढता, ममता तेरे आंचल में माँ


माँ, सिर्फ माँ, मैं ने कहा, जब बोलना आया मुझे

मैं ने झरोखा स्वर्ग का देखा तेरे आंचल में माँ


साथी नहीं कोई मेरा, जाऊं कहाँ, ढूंढूं किसे

इच्छा है तेरी गोद की, रहता तेरे आंचल में माँ


गम घेरते हैं अब मुझे, मुझ से सहा जाता नहीं

तू पास होती गर मेरे, सोता तेरे आंचल में माँ



(चित्र गूगल सर्च से साभार )

26 टिप्‍पणियां:

  1. वाह बहुत सुन्दर !
    ग़म घेरते हैं अब मुझे, मुझ से सहा जाता नहीं
    तू पास होती गर मेरे, सोता तेरे आंचल में माँ
    बस ऐसा ही कुछ मैं भी महसूस करता हूँ !

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  2. tu kitni achchi hai kitni bholi hai pyaari pyaari hai...o maan...

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  3. मेरी पोस्ट पर टिपण्णी देने के लिए शुक्रिया !

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  4. एक दुरुस्त सी गजल में माँ का स्मरण देख कर बहुत खुश हूँ .
    युवावस्था हो या जरावस्था , माँ के सापेक्ष बच्चा ही रहता है
    व्यक्ति !
    माँ, सिर्फ माँ, मैं ने कहा, जब बोलना आया मुझे

    मैं ने झरोखा स्वर्ग का देखा तेरे आंचल में माँ !
    ------ अच्छा लगा यह !
    ..............
    माँ पर मुनव्वर राना की गजलें पढी हैं आपने ? पढियेगा फिर !
    एक शेर पेशे-खिदमत है ---
    अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा,
    मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है !
    .....................
    माँ के इस शुभ दिन की शुभकामनाएं !

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  5. sundar ghazal kah dee aapne. meri ghazal feekee lag rahi hai isake saamane. badhai. achchhi lekhani ke liye.

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  6. very nice post :)


    मदर्स डे के शुभ अवसर पर ...... टाइम मशीन से यात्रा करने के लिए.... इस लिंक पर जाएँ :
    http://my2010ideas.blogspot.com/2010/05/blog-post.html

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  7. साथी नहीं कोई मेरा, जाऊं कहाँ, ढूंढूं किसे

    इच्छा है तेरी गोद की, रहता तेरे आंचल में माँ

    Marmsparshi! Jai Janni, Jai Bharti., Dunia kee tamam Maaon ko pranam.

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  8. माँ को समर्पित इस रचना में आप ने हृदय के समस्त उदगार रख दिए हैं. माँ, वो भी गजल में, अद्भुत प्रयोग किया है.
    आप कम लिख रही हैं लेकिन जो लिख रही हैं, वो आपकी परिपक्वता को समझने के लिए काफी है.
    इस रचना में आपने बहुत मेहनत की है और अच्छी बात यह है कि यह मेहनत दिखाई भी पड़ती है.

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  9. तू पास होती गर मेरे, सोता तेरे आंचल में माँ

    bahut khoob !!!

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  10. maa ke aanchal me suvarg jaisa sakun milta hai
    ek maa vastav 100 shikshko ke brabar hote hai .

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  11. archana ji aapse bina izazat liye hue mein aapki kavita mere radio program mein padh rahi hun aasha hai aap bura nahi maanengi...
    aapka naam aur ye aapki kriti hai ye zaroor bata rahi hun ..chuo 89.1 FM par

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  12. माँ को समर्पित बेहतरीन रचना..बधाई !!

    ************************
    'शब्द सृजन की ओर' पर आज '10 मई 1857 की याद में'. आप भी शामिल हों.

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  13. अर्चना जी . बहुत अच्छी रचना . बधाई ।

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  14. माँ पर आपकी ये ग़ज़ल विलक्षण है...वाह...बेजोड़...
    नीरज

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  15. माँ, सिर्फ माँ, मैं ने कहा, जब बोलना आया मुझे
    मैं ने झरोखा स्वर्ग का देखा तेरे आंचल में माँ

    साथी नहीं कोई मेरा, जाऊं कहाँ, ढूंढूं किसे
    इच्छा है तेरी गोद की, रहता तेरे आंचल में माँ



    मां की बात निराली, मां की याद निराली..
    समर्पित प्यारी ग़ज़ल..
    और दोनो चित्र बहुत अच्छे..

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