शब्-ए-खामोश
शब्-ए-तनहा महफ़िल में
छाई जैसे कोई ग़मी सी है
सबा के आँचल में जब्ज
आज थोड़ी नमी सी है
कुमुदनी के रुखसारों पे
इक बूँद शबनमी सी है
बादलों के आगोश में गुम
आज चांदनी धुंधली सी है
रुत की खामोशियों में
इक ग़ज़ल की कमी सी है
(चित्र गूगल सर्च से साभार)
ek gazal ki kami si hai ............kya baat hai ........bahut bahut sundar
जवाब देंहटाएंkhoob soorat ग़ज़ल है.............. रात की tanhaai में.............. सच much किसी भी tanhai में ग़ज़ल adhoori ही होती है
जवाब देंहटाएंBahut khub...mai to pura ka pura blog padhta hi chala gaya...
जवाब देंहटाएंbehtreen gazal
जवाब देंहटाएंमैंने अपने ब्लॉग पर एक लेख लिखा है . - फ़ेल होने पर ख़त्म नहीं हो जाती जिंदगी - समय हो तो पढें और कमेन्ट भी दें .
http://www.ashokvichar.blogspot.com
अर्चना जी,
जवाब देंहटाएंवाह क्या गजल कही आपने दिल खुश हो गया
आप ने जो लिखा उसका भाव मुझे बहुत अच्छा लगा
आपका स्वागत है तरही मुशायरे में भाग लेने के लिए सुबीर जी के ब्लॉग सुबीर संवाद सेवा पर
जहाँ गजल की क्लास चलती है आप वहां जाइए आपको अच्छा लगेगा
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venuskesari@gmail.com
वीनस केसरी
behtreen kavita
जवाब देंहटाएंरचना बहुत अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई....
जवाब देंहटाएंअर्चना जी इस सुन्दर रचना के लिये बधाई सवीकार करें शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंarchana ji
जवाब देंहटाएंbahut sundar gzal .. bhavnaaye ubhar kar aa gayi hai ..aakhri sher gazab ka hai ji
Aabhar
Vijay
Pls read my new poem : man ki khidki
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/07/window-of-my-heart.html
sundar abhivyakti
जवाब देंहटाएंvery nice creation...
जवाब देंहटाएंkeep writing n inspiring people...