इक शाम तनहा ढलने को है
इक सुबह से सूरज मिलने को है
वक्त के पाटे पर तार-तार हुए
इक रूह नए कपड़े सिलने को है
समंदर के तूफानों से गुजर आई
इक कागज़ की कश्ती गलने को है
चिता की लपटों की गरमी पाकर
जज्बातों की बर्फ पिघलने को है
अश्कों की बारिश में भीगकर
दिल का मैल अब धुलने को है
जन्मों के सांचे में ढली मोम से
इक शमा नई शब् में जलने को है
(चित्र गूगल सर्च से साभार)
बहुत ही सुन्दर शे'र फ़रमाया है आपने...वाह-वाह...
जवाब देंहटाएंek ruh naye kapde silne ko hai,
जवाब देंहटाएंbhut khoob. bhut oonchi bat khi apne.
इक शाम तनहा ढलने को है
जवाब देंहटाएंइक सुबह से सूरज मिलने को है
वक्त के पाटे पर तार-तार हुए
इक रूह नए कपड़े सिलने को है
बहुत शानदार लिखा है
दिल के मैल की जगह दिल का मैल लिखने में एक वचन वाला नियम चलेगा |
बहुत अच्छा लगा पढ़ कर |
चिता की लपटों की गरमी पाकर
जवाब देंहटाएंजज्बातों की बर्फ पिघलने को...
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति...
समंदर के तूफानों से गुजर आई
जवाब देंहटाएंइक कागज़ की कश्ती गलने को है
चिता की लपटों की गरमी पाकर
जज्बातों की बर्फ पिघलने को है
इतने लाजवाब शेर .......दिल की गहराइयों से निकलते ......कितना कुछ बोलते हैं जीवन की हकीकत के बारे में सब शेर..........
BAHUT BAHUT SUNDAR LIKHA HAI APANE ......ATISUNDAR .....BADHAEE
जवाब देंहटाएंकाग़ज़ की कश्ती गलने को है,
जवाब देंहटाएंउम्दा बहुत उम्दा!
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1. विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
2. चाँद, बादल और शाम
bahut khoob ghazal..................
जवाब देंहटाएंantar ke bhaav ko atyuant sateek aur sundar swaroop me
abhivyakt karne ki kalaa aapme shaayad koot koot kar bhari hai...
iska sahi prayog kiya aapne
badhaai !
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंarchana apke blog per pahli baar ana hua. aap lucknow ki hai jaanker acha laga.
जवाब देंहटाएंसमंदर के तूफानों से गुजर आई
इक कागज़ की कश्ती गलने को है
bhut khoobsurt line hai.
वक्त के पाटे पर तार-तार हुए
जवाब देंहटाएंइक रूह नए कपड़े सिलने को है
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रूह तक पैबस्त हो गये ये खूबसूरत एहसास
समंदर के तूफानों से गुजर आई
जवाब देंहटाएंइक कागज़ की कश्ती गलने को है...
बेहतरीन.
आप सभी का आभार....शारदा जी आपका सुझाव मान लिया...अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंवक्त के पाटे पर तार-तार हुए
जवाब देंहटाएंइक रूह नए कपड़े सिलने को है
in panktiyon ke kya kahne ...
bahut khoobsurat...
सुन्दरतम प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआभार।
उत्कृष्ट एवं भावपूर्ण रचना. अभार.
जवाब देंहटाएंaapki is gehri likhi rachna mein...bas mera mann dhalne ko hai...
जवाब देंहटाएंvery nicely composed...
keep rolling..
Shaandaar Kavita.
जवाब देंहटाएंbahut lazavaab rachna he ji aapki/
जवाब देंहटाएंअश्कों की बारिश में भीगकर
दिल का मैल अब धुलने को है
ye line ne mujhe khaasa prabhaavit kiya/
bahut khoob/
वाह बहुत खूब उम्मीदों की समां को बांध दिया आपने........
जवाब देंहटाएं"अश्कों की बारिश में भीगकर
जवाब देंहटाएंदिल का मैल अब धुलने को है"
रचना बहुत अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई....
अश्कों की बारिश में भीगकर
जवाब देंहटाएंदिल का मैल अब धुलने को है
बहुत ही सकारात्मक सोच वाली रचना. बहुत बढ़िया. साथ ही आपका हमारे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया
archana ji...
जवाब देंहटाएंbahut bhaut shukriya mera blog visit karne k liye aur apne comments dene ke liye....
i m ur follower so i keep on coming to read your awesome compositions...
thanks again..
बहुत सुन्दर रचना, आपको बधाई.
जवाब देंहटाएंarchana ji bhut behtreen prstuti hai ummido ki sama badhti aur houslo ki parte kholti antim thahraav tak
जवाब देंहटाएंसमंदर के तूफानों से गुजर आई
इक कागज़ की कश्ती गलने को है
mera prnaam swikaar kare
saadar
praveen pathik
9971969084
अर्चना जी,
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अहसासों से भरी गज़ल सुन्दर है।
बधाईयाँ,
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
चिता की लपटों की गरमी पाकर
जवाब देंहटाएंजज्बातों की बर्फ पिघलने को है
सटीक सुन्दर अभिव्यक्ति.
Bahd sundar rachnayen..! Alfaaz nahee hain...ki,iske alawa kuchh aur kahun...!
जवाब देंहटाएंhttp://kshama-bikharesitare.blogspot.com
bahut achi gazl..acha laga apke blog par aakar achi rachnaye mili
जवाब देंहटाएंजीवन के अनुभवों को शानदार तरीके से व्यक्त किया है।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
achhee rachnaa hai
जवाब देंहटाएंkhayalaat ka behtar istemaal
---MUFLIS---
भीग के इस मौसम में, उमंगें बेखुदी में है खोई, सावन की इन बूंदों में शराब मिला रहा है कोई....
जवाब देंहटाएंkya kahun aapki kalpana ki udaan ke baare mein... ye to nadiyon ki tarah bahti hai...
bahut khub...
nice post..............
जवाब देंहटाएंवक्त के पाटे पर तार-तार हुए
जवाब देंहटाएंइक रूह नए कपड़े सिलने को है
नवगीत की पाठशाला से होते हुए यहां पहुंचा. बहुत अच्छा लगीं आपकी रचनाएं
अश्कों की बारिश में भीगकर
जवाब देंहटाएंदिल का मैल अब धुलने को है
... अत्यंत प्रभावशाली व प्रसंशनीय अभिव्यक्ति !!!
V.Nice
जवाब देंहटाएंkeep it up!
वक्त के पाटे पर तार-तार हुए
जवाब देंहटाएंइक रूह नए कपड़े सिलने को है
अति सुन्दर
वक्त के पाटे पर तार-तार हुए
जवाब देंहटाएंइक रूह नए कपड़े सिलने को है
बढ़िया भाव..
अर्चना जी........
जवाब देंहटाएंबहुत ही ख़ूबसूरत रचना लिखी है आपने.......
आपके इन दो शेर ने काफी प्रभावित किया........
समंदर के तूफानों से गुजर आई
इक कागज़ की कश्ती गलने को है
अश्कों की बारिश में भीगकर
दिल का मैल अब धुलने को है.......
वाह..........
अर्चनाजी,
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग पर औचक ही जा पंहुचा !... 'एक रूह नए कपडे सिलने को है' और 'एक शमा नई शब् में जलने को है', आपकी ग़ज़ल के ये मिसरे बहुत हृदयस्पर्शी हैं ! सचमुच, अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर भ्रमण करना ! बधाई !!
ये दिल की गहराही से लिखे शब्दों की सिसकिया है ..
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