रविवार, 26 जुलाई 2009

इक शाम तनहा ढलने को है




इक शाम तनहा ढलने को है
इक सुबह से सूरज मिलने को है

वक्त के पाटे पर तार-तार हुए
इक रूह नए कपड़े सिलने को है

समंदर के तूफानों से गुजर आई
इक कागज़ की कश्ती
गलने को है

चिता की लपटों की गरमी पाकर
जज्बातों की बर्फ पिघलने को है

अश्कों की बारिश में भीगकर
दिल का मैल अब धुलने को है

जन्मों के सांचे में ढली मोम से
इक शमा नई शब् में जलने को है



(चित्र गूगल सर्च से साभार)

41 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर शे'र फ़रमाया है आपने...वाह-वाह...

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  2. ek ruh naye kapde silne ko hai,

    bhut khoob. bhut oonchi bat khi apne.

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  3. इक शाम तनहा ढलने को है
    इक सुबह से सूरज मिलने को है

    वक्त के पाटे पर तार-तार हुए
    इक रूह नए कपड़े सिलने को है

    बहुत शानदार लिखा है
    दिल के मैल की जगह दिल का मैल लिखने में एक वचन वाला नियम चलेगा |
    बहुत अच्छा लगा पढ़ कर |

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  4. चिता की लपटों की गरमी पाकर
    जज्बातों की बर्फ पिघलने को...

    बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति...

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  5. समंदर के तूफानों से गुजर आई
    इक कागज़ की कश्ती गलने को है

    चिता की लपटों की गरमी पाकर
    जज्बातों की बर्फ पिघलने को है

    इतने लाजवाब शेर .......दिल की गहराइयों से निकलते ......कितना कुछ बोलते हैं जीवन की हकीकत के बारे में सब शेर..........

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  6. काग़ज़ की कश्ती गलने को है,
    उम्दा बहुत उम्दा!
    ---
    1. विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
    2. चाँद, बादल और शाम

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  7. bahut khoob ghazal..................

    antar ke bhaav ko atyuant sateek aur sundar swaroop me
    abhivyakt karne ki kalaa aapme shaayad koot koot kar bhari hai...
    iska sahi prayog kiya aapne

    badhaai !

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  8. archana apke blog per pahli baar ana hua. aap lucknow ki hai jaanker acha laga.

    समंदर के तूफानों से गुजर आई
    इक कागज़ की कश्ती गलने को है

    bhut khoobsurt line hai.

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  9. वक्त के पाटे पर तार-तार हुए
    इक रूह नए कपड़े सिलने को है
    ====
    रूह तक पैबस्त हो गये ये खूबसूरत एहसास

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  10. समंदर के तूफानों से गुजर आई
    इक कागज़ की कश्ती गलने को है...
    बेहतरीन.

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  11. आप सभी का आभार....शारदा जी आपका सुझाव मान लिया...अच्छा लगा

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  12. वक्त के पाटे पर तार-तार हुए
    इक रूह नए कपड़े सिलने को है
    in panktiyon ke kya kahne ...
    bahut khoobsurat...

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  13. उत्कृष्ट एवं भावपूर्ण रचना. अभार.

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  14. aapki is gehri likhi rachna mein...bas mera mann dhalne ko hai...

    very nicely composed...

    keep rolling..

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  15. bahut lazavaab rachna he ji aapki/
    अश्कों की बारिश में भीगकर
    दिल का मैल अब धुलने को है
    ye line ne mujhe khaasa prabhaavit kiya/
    bahut khoob/

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  16. वाह बहुत खूब उम्मीदों की समां को बांध दिया आपने........

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  17. "अश्कों की बारिश में भीगकर
    दिल का मैल अब धुलने को है"
    रचना बहुत अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई....

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  18. अश्कों की बारिश में भीगकर
    दिल का मैल अब धुलने को है
    बहुत ही सकारात्मक सोच वाली रचना. बहुत बढ़िया. साथ ही आपका हमारे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया

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  19. archana ji...
    bahut bhaut shukriya mera blog visit karne k liye aur apne comments dene ke liye....
    i m ur follower so i keep on coming to read your awesome compositions...

    thanks again..

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  20. बहुत सुन्दर रचना, आपको बधाई.

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  21. archana ji bhut behtreen prstuti hai ummido ki sama badhti aur houslo ki parte kholti antim thahraav tak
    समंदर के तूफानों से गुजर आई
    इक कागज़ की कश्ती गलने को है
    mera prnaam swikaar kare
    saadar
    praveen pathik
    9971969084

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  22. अर्चना जी,

    खूबसूरत अहसासों से भरी गज़ल सुन्दर है।

    बधाईयाँ,

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  23. चिता की लपटों की गरमी पाकर
    जज्बातों की बर्फ पिघलने को है

    सटीक सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति.

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  24. Bahd sundar rachnayen..! Alfaaz nahee hain...ki,iske alawa kuchh aur kahun...!
    http://kshama-bikharesitare.blogspot.com

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  25. जीवन के अनुभवों को शानदार तरीके से व्‍यक्‍त किया है।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  26. भीग के इस मौसम में, उमंगें बेखुदी में है खोई, सावन की इन बूंदों में शराब मिला रहा है कोई....

    kya kahun aapki kalpana ki udaan ke baare mein... ye to nadiyon ki tarah bahti hai...
    bahut khub...

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  27. वक्त के पाटे पर तार-तार हुए
    इक रूह नए कपड़े सिलने को है
    नवगीत की पाठशाला से होते हुए यहां पहुंचा. बहुत अच्छा लगीं आपकी रचनाएं

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  28. अश्कों की बारिश में भीगकर
    दिल का मैल अब धुलने को है
    ... अत्यंत प्रभावशाली व प्रसंशनीय अभिव्यक्ति !!!

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  29. वक्त के पाटे पर तार-तार हुए
    इक रूह नए कपड़े सिलने को है
    अति सुन्दर

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  30. वक्त के पाटे पर तार-तार हुए
    इक रूह नए कपड़े सिलने को है

    बढ़िया भाव..

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  31. अर्चना जी........
    बहुत ही ख़ूबसूरत रचना लिखी है आपने.......
    आपके इन दो शेर ने काफी प्रभावित किया........
    समंदर के तूफानों से गुजर आई
    इक कागज़ की कश्ती गलने को है

    अश्कों की बारिश में भीगकर
    दिल का मैल अब धुलने को है.......
    वाह..........

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  32. अर्चनाजी,
    आपके ब्लॉग पर औचक ही जा पंहुचा !... 'एक रूह नए कपडे सिलने को है' और 'एक शमा नई शब् में जलने को है', आपकी ग़ज़ल के ये मिसरे बहुत हृदयस्पर्शी हैं ! सचमुच, अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर भ्रमण करना ! बधाई !!

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  33. ये दिल की गहराही से लिखे शब्दों की सिसकिया है ..

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